History

[vc_row][vc_column][vc_column_text]विद्यालय स्थापना की पृष्ठभूमि
महर्षि दयानन्द जी सरस्वती से पूर्व भारत में धार्मिक एवं झूठे अन्धविश्वासों की काली घटा छाई हुई थी| कन्याओं को पढ़ाना पाप समझा जाता था| इनके साथ अन्याय की यह स्थिति थी कि इन्हे शुद्रो की बराबरी में रखा गया था| मुग़ल कालीन शासको के समय से प्रभावित विद्वान कवि महात्मा तुलसीदास जी ने तो अपने अमर ग्रन्थ ” रामचरित मानस ” में यहाँ तक लिख दिया :-
” ढोल, गंवार, शुद्र -पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी ”
यहाँ विद्वान यह भी भूल गए कि प्राचीन काल में नारिया देवी मानी जाती थीं| जैसे-सीता राम, राधाकृष्ण आदि-आदि|
इस सम्बन्ध में देवी मैत्रेयी, गार्गी, विद्योत्तमा ने अपनी विद्वता के आगे बड़े-बड़े विद्वानों को परास्त कर अपना नाम इतिहास में चिर-स्मरणीय किया|
पराधीनता के लम्बे इतिहास में उस समय आशा की किरण दिखलाई पड़ी| जब भारतीय धर्म, समाज, नारी-शिक्षा, एवं संस्कृति के प्रबल पक्षधर, नवोदय के ज्योर्तिधर स्वामी दयानन्द जी सरस्वती ने 18 वीं सदी में आर्य समाज की स्थापना के द्वारा देश और समाज में धार्मिक व वैचारिक क्रांति लाने का सफल प्रयास किया| मथुरा निवासी एक प्रज्ञाचक्षु दण्डी सन्यासी गुरु विरजानन्द जी सरस्वती से शास्त्राध्ययन करने के पश्चात् स्वामी जी नें भारतीय जीवन में व्याप्त आडम्बर, पाखंड, कदाचार और मूढ़ विश्वासों को जड़ उखाड़ने हेतु महान अनुष्ठान प्रारम्भ किया| अपने प्रयोजन की सिद्धि में जनसाधारण का सहयोग लेने हेतु महानगर मुंबई में चैत्र शुक्ल पंचमी सं. 1932 विक्रमी तदनुसार 10 अप्रैल, 1875 ई. को भारत में प्रथम आर्य समाज की स्थापना की|
इसी श्रृखला में आपने आर्य समाज, फर्रुखाबाद की स्थापना 12 जुलाई, 1879 ई. को की| इसके पूर्व 1875 से स्थापना के बाद तक इस नगर व जनपद को यह भी सौभाग्य प्राप्त हुआ की आप यहाँ अपने जीवन काल में आठ बार पधारे| वर्तमान में आर्य समाज द्वारा संचालित गुरुकुल ( कन्याओं व ब्रह्मचारियों के अलग-अलग ) महाविद्यालय, इंटर कालेज, विश्वविद्यालय आदि 4000 से अधिक संस्थाए है जो कि पुरे भारतवर्ष में सरकारी विद्यालयों व महाविद्यालय के बाद दुसरे स्थान पर है|
शिक्षा क्षेत्र में प्रारंभ से लेकर अभी तक का विवरण
11 मार्च 1880 ई को प्रबन्ध समिति आर्य समाज ने आर्य समाज द्वारा निःशुल्क पुत्र और पुर्त्रियों की दो पाठशाला खोलने का निर्णय लिया, तदनुसार 15 मार्च 1880 ई से दोनों विद्यालय सुचारू रूप से निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने लगे|

 

आर्य विद्यालयों में अंग्रेजी शिक्षा पढ़ाने हेतु

24 जनवरी 1881 को निश्चय हुआ तदनुसार (निःशुल्क)|
अ. बालको के विद्यालयों में 84 छात्र थे, 3 अध्यापक|
ब. बालिकाओं के विद्यालय में – 1 शिक्षिका|

नारायण आर्य कन्या इण्टर कालेज

(आर्य समाज द्वारा प्रदत भूमि व भवन में प्रारम्भ 6 मई 1923) वर्तमान में छात्राओ की संख्या 3000 से उपर है|

नारायण आर्य कन्या पाठशाला स्नातकोत्तर महाविद्यालय

स्थापित : सन 1965 संस्थापक : स्व० डॉ रघुवीर दत्त शर्मा भूतपूर्व प्रधान व मंत्री आर्य संमाज फर्रुखाबाद एवं भूतपूर्व नगरपालिका अध्यक्ष फर्रुखाबाद|

अ. स्थापना वर्ष 1965 से जून 1974 तक यह नारायण आर्य कन्या इण्टर कालेज, फर्रुखाबाद के भवन में चला|
ब. जून 1974 से डॉ रघुवीर दत्त जी शर्मा के प्रयासों से वर्तमान भवन साहबगंज नारायणदास में स्थापित है|
स. वर्तमान में छात्रों की संख्या लगभग 3000 है|[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]